Aalhadini

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The Train... beings death 38

चिंकी ट्रेन से वापस लौटने के बाद अपने घर पहुंच गई थी। वहीं से इंस्पेक्टर कदंब चिंकी को लेकर कमल नारायण जी के पास आने वाले थे। उससे पहले इंस्पेक्टर कदंब ने  अरविंद और अनन्या से चिंकी को ले जाने की परमिशन भी ले ली थी। चिंकी ने कमल नारायण जी से मिलकर ट्रेन के रास्ते में पड़ने वाले तीनों स्टेशन के बारे में जितनी जानकारी मिली थी.. सारी उन्हें बता दी थी।  सारी बातें पता चलते ही कमल नारायण जी ने तुरंत ही अनुष्ठान आरंभ करने की बात कही और जिस जगह उन्होंने गौतम से बात की थी.. डॉ शीतल के साथ उस नन्हे जीव को भी वही बुलवा लिया था।


वो नन्हा जीव चिंकी को देख कर बहुत ज्यादा खुश हो गया था। चिंकी को उसकी भाषा समझ में आ रही थी। तभी अचानक वह जोरदार चिल्लाने लगा। उसके चिल्लाने की आवाज सुनते ही नीरज ने पलटकर चिंकी की तरफ देखा तो चिंकी की चेहरे पर टेंशन के बादल दिखाई देने लगे थे।


 नीरज ने कन्फ्यूजन में चिंकी की तरफ देखते हुए पूछा, "क्या हुआ चिंकी..? इसके चिल्लाने की आवाज सुनकर तुम टेंशन में क्यों आ गई हो??"


 चिंकी ने कहा, "टेंशन की ही बात है। यह बोल रहा है कि इसके पापा शायद यही कहीं आसपास है।"


चिंकी की बात सुनते ही सभी लोगों में घबराहट फैल गई थी। उन्होंने कई बार उस नन्हें जीव के पापा को अपने आसपास महसूस किया था। उन्होंने ही टाइम को इतना स्पीडली दौड़ा दिया था.. और वैसे भी जब वह नन्हा बच्चा इतना ज्यादा डरावना था तो उसके पापा के बारे में तो बोलना भी असंभव था।


 चिंकी ने आगे बढ़कर प्यार से उस नन्हे जीव का सर सहलाते हुए कहा, "क्या तुम अपने पापा को यहां आने से रोक सकते हो??"


उस जीव ने हां में अपना सर हिला दिया। जिसे देखते ही सबके चेहरे पर राहत वाले भाव दिखने लगे थे। तभी उसने अपनी आवाज में चीखते हुए कुछ कहा। सबकी नजरें फिर से चिंकी की तरह उठ गई थी।


चिंकी ने कहा, "यह हमारी मदद करना चाहता है।"


सभी ने आश्चर्य से उस नन्हे जीव की तरफ देखा और पूछा, "यह जानता है.. इसे क्या करना होगा??"


 जवाब में उस नन्हे जीव ने फिर से एक चीख मारी। उसके तुरंत बाद चिंकी ने कहा, "हां..! यह जानता है कि हम सभी इसकी तरह के जीवो के पृथ्वी पर आने की वजह से बहुत परेशान है। यह भी नहीं चाहता कि इन सब की वजह से धरती पर रहने वाले सभी लोग परेशान हो।"


 "तो फिर.. अब क्या करना चाहिए??" डॉ शीतल ने पूछा।


 "यह कह रहा है कि यह आयाम द्वार बंद करवाने के लिए अंदर से कोशिश करेगा!!"  नन्हें जीव के चिल्लाने की आवाज सुनते ही चिंकी ने कहा।


 "क्याऽऽ..?? लेकिन यह आयाम द्वार के बारे में कैसे जानता है?" कमल नारायण जी ने आश्चर्य से पूछा।


 कमल नारायण जी के सवाल पर उस छोटे जीव ने एक चीख मारी और चिंकी ने बोलना शुरू कर दिया, "इसे हमारे बारे में सब कुछ पता है। जैसे ही यह यहां आया था.. वैसे ही इसे हम सबके भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में सारी जानकारियां मिल गई थी। उन्हीं सब जानकारियों के हिसाब से यह बात बोल रहा है।"


"ये कैसे हो सकता है कि इसे सारी जानकारियां यहां आते ही मिल गई??" नीरज ने पूछा।


नन्हा जीव चीखा और चिंकी ने उसकी कही बात समझाना शुरू किया,  "ये गुण इसे अपने पिता से मिला है। जब जिसके बारे में चाहे जानकारी निकाल सकते हैं। भूत, भविष्य और वर्तमान बिना किसी चूक के सब पता चल जाता है।"


 "यह हमारी सहायता कैसे करेगा?? कोई तरकीब है इसके पास??" नीरज ने सवाल किया।


 नीरज का सवाल सुनते ही फिर से उस जीव ने एक अजीब सी भाषा में चिल्लाना शुरू कर दिया। उसे सुनकर चिंकी ने आगे कहा, "यह कह रहा है कि यह ट्रेन के साथ वापस जाएगा और अपने पिता के साथ वहीं रुक जाएगा। कल शाम 5:00 बजे जब हम यहां से अनुष्ठान आरंभ करेंगे।  तभी यह अंदर से यही अनुष्ठान दोहरा कर पूरा करेगा। इनके आयाम से आयाम द्वार बंद हो जाएगा और धरती से भी आयाम द्वार बंद हो जाएगा।"


 जैसे ही चिंकी ने उस जीव की बात को ट्रांसलेट किया.. अचानक चिंकी के चेहरे पर कन्फ्यूजन के भाव दिखने लगे थे। चिंकी ने झटके से पलटकर उस जीव की तरफ देखते हुए पूछा, "फिर बीच वाले दोनों आयामों का क्या?? उन्हें कैसे बंद किया जाएगा?  क्योंकि यहां से ट्रेन नीलाक्षल जाती है। वहां से तप्तांचल.. और फिर चण्डोली। यहां से द्वार बंद कर देंगे तो ट्रेन नीलाक्षल और तप्तांचल में तो जाएगी ही और देव तो वैसे भी इन सभी जानवरों से परेशान है। वह क्या करेगा??"


 इसी सवाल का जवाब तो सभी उस नन्हे जीव से चाहते थे। तभी उसने फिर से अपनी भाषा में चिल्लाना शुरू किया। सभी की नजरें एक बार फिर से चिंकी की तरफ उठ गई थी।


 चिंकी ने कहा, "यहां आते टाइम देव ने मुझे अपनी अंगूठी दी थी।


"मैं उसे अभी यहां बुलवा लेती हूं और उसे भी सब कुछ समझा दूंगी। लेकिन एक प्रॉब्लम रहेगी..!!" चिंकी ने कुछ सोचते हुए कहा।


"कैसी प्रॉब्लम??"  सभी ने एक साथ पूछा।


"वह यह कि... मुझे एक बार फिर से ट्रेन में जाना होगा। तभी मैं उन ड्राइवर अंकल से बात करके उन्हें समझा पाऊंगी कि उस रात ट्रेन में मौजूद सभी लोगों की मौत हो चुकी है। उनके साथ ही ड्राइवर अंकल भी उसी रात को मारे गये थे।" चिंकी ने कहा।


"नहीं..!! ऐसा नहीं हो सकता।  अगर तुम आज रात ट्रेन में जाओगी तो ट्रेन कल रात को ही वापस लौटेगी। और कल शाम 5:00 बजे आयाम द्वार बंद करने का आखरी मुहूर्त है। उसके बाद अगले 50 सालों तक इस आयाम द्वार को बंद नहीं किया जा सकेगा। उससे पहले तुम्हारा लौटना असंभव है। सब कुछ जानते बुझते हम तुम्हें कैसे जाने दे सकते है?" कमल नारायण जी ने चिंतित होकर कहा।


 "तो फिर एक ही ऑप्शन बचता है।"  चिंकी ने कुछ सोचते हुए जवाब दिया।


 "कौन सा ऑप्शन..??"  इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा।


 "यही कि ट्रेन को यहीं पर कम से कम 1 घंटे रोका जाए। उस बीच में मैं ड्राइवर अंकल को समझाने की कोशिश करूंगी।" चिंकी ने कहा।


 चिंकी की बात सुनते ही कमल नारायण जी टेंशन में आ गए थे। सभी की नजर कमल नारायण जी के जवाब पर टिकी हुई थी। सभी जानते थे कि इसमें कमल नारायण जी ही कुछ कर सकते थे। कमल नारायण जी सोच में डूबे हुए थे। तभी नीरज ने कहा, "कमल नारायण जी.. देखिए ना.. अगर आप जवाब नहीं देंगे तो कुछ पता नहीं चल पाएगा। पता भी नहीं है कि इसके अलावा ट्रेन का और कुछ हो भी पाएगा या नहीं??"


 कमल नारायण जी ने थोड़ी देर सोचा फिर कहा, "केवल 15 मिनट के लिए ट्रेन को रोकने की कोशिश कर सकता हूं। उसे ज्यादा नहीं हो पाएगा।"


 "लेकिन दादा जी.. 15 मिनट में मैं ड्राइवर अंकल को कैसे मनाऊंगी??" चिंकी ने मुंह बनाते हुए कहा।


"उससे ज्यादा टाइम मैं ट्रेन नहीं रोक पाऊंगा। समझने की कोशिश करो.. चिंकी..!! ये मेरी क्षमता से बाहर की बात है।"  कमल नारायण जी ने समझाते हुए कहा।


तभी इंस्पेक्टर कदंब ने भी चिंकी को समझाते हुए कहा, "चिंकी..! कमल नारायण जी ठीक बोल रहे हैं। उस ट्रेन को 1 घंटे रोकना बहुत ही मुश्किल काम है। कमल नारायण जी को बहुत ही ज्यादा मुश्किल होने वाली है.. 15 मिनट रोकने के लिए भी। और तुम तो 1 घंटे की बात कर रही हो।"


 "लेकिन 15 मिनट कम है। अगर वह 15 मिनट में नहीं माने तो??" चिंकी ने कहा पर फिर थोड़ी देर रुककर कुछ सोचते हुए कहा, "कोई बात नहीं..! मैं ट्राई करूंगी.. के उन्हें 15 मिनट से पहले ही मना पाऊं।"



चिंकी की बात सुनकर सभी खुश हो गए थे। तभी कमल नारायण जी ने उस छोटे नन्हे जीव को अपने सामने बिठा लिया और कहा, "चिंकी.. तुम भी यहीं बैठ जाओ। अगर यह कुछ कहे तो तुम मुझे इसकी बात समझा देना।"


चिंकी भी वहीं आकर बैठ गई। इंस्पेक्टर कदंब, नीरज और डॉक्टर शीतल तीनों ही थोड़ी दूर बैठे वहाँ जो भी कुछ हो रहा था उससे देख रहे थे।



 कमल नारायण जी ने अनुष्ठान की सारी विधि उस नन्हें जीव को समझाना शुरू कर दिया था। तभी चिंकी एक पल के लिए उठकर कहीं चली गई। कमल नारायण जी वहीं बोलते हुए रुक गए थे। उस नन्हें जीव की नजरें भी चिंकी की तरफ ही थी। चिंकी ने अपने हाथ से अंगूठी निकाली और उसमें लगे छल्ले को गोल घुमा दिया। छल्ले को घुमाते ही वहां के माहौल में परिवर्तन होना शुरू हो गया। नीले रंग का प्रकाश वहां पर फैलने लगा था।


 उस प्रकाश पुंज में देव की परछाई दिखने लगी थी। देव ने चिंकी से पूछा, "क्या हुआ चिंकी?? तुमने इस तरह से मुझे बुलाया?? सब कुछ ठीक तो है ना??"


 चिंकी ने मुस्कुराकर कहा, "बिल्कुल देव जी..! सब कुछ ठीक है। हम सभी लोग मिलकर यहां आयाम द्वार बंद करने के लिए एक अनुष्ठान करने वाले हैं।"


 और फिर कमल नारायण जी की तरफ इशारा करते हुए कहा, "वह दादाजी अनुष्ठान करेंगे!"  देव की नज़र उस नन्हें जीव पर गई तो वह घबरा गया और गुस्से से चिंकी से बोला, "तुम तो कह रही थी कि आयाम द्वार बंद करवाने वाले हो!  और तुमने ही इस जानवर को यहां बैठा रखा है। तुम्हें पता भी है.. सब कुछ इसे पता चल जाएगा तो यह द्वार बंद नहीं होने देगा।"


 चिंकी ने मुस्कुराकर समझाते हुए कहा, "नहीं देव जी..! यह इस काम में हमारी सहायता करने वाला है। हम यहां से द्वार बंद करने की कोशिश करेंगे। यह तीसरे आयाम चण्डोली से आयाम द्वार बंद करने की कोशिश करेगा। इस सब में हमें आपकी सहायता की भी जरूरत है।"


 "कैसी सहायता??" देव ने पूछा।


 "आपको भी उसी मुहूर्त पर अपने आयाम से आयाम द्वार बंद करने की पूजा करनी होगी। तभी यह संभव हो पाएगा।" चिंकी ने समझाते हुए कहा।


"ठीक है.. मैं ऐसा जरूर करूंगा। लेकिन मुझे करना क्या होगा??"  देव ने यहां वहां सभी की तरफ देखते हुए पूछा। देव सबकुछ जानने के बाद वहाँ सशरीर उपस्थित हो गया था।


 चिंकी देव को भी कमल नारायण जी के पास ले गई। उसके बाद कमल नारायण जी ने देव और उस नन्हें जीव दोनों को ही अनुष्ठान कैसे करना था और कब शुरू करना था उसके बारे में अच्छे से समझाना शुरू कर दिया। देव और वह नन्हा जीव हर एक मंत्र, हर एक विधि को अच्छे से समझ गए थे कि उन्हें क्या और कैसे करना था!!  देव के मन में कुछ छोटे-मोटे सवाल थे.. जिनके जवाब कमल नारायण जी ने देव को दे दिए थे। सारी कुछ तैयारियां अच्छे से हो गई थी।



 अब बस अनुष्ठान शुरू करने की ही देर थी। सारी बातों में रात हो गई थी। लगभग 2 घंटे बाद ही ट्रेन आने वाली थी। कमल नारायण जी ने नीरज, इंस्पेक्टर कदंब और शीतल से उस नन्हें जीव और देव की तरफ इशारा करते हुए कहा, "बहुत सारी सामग्रियां अनुष्ठान के लिए चाहिए होंगी जो इन दोनों के साथ भेजनी होंगी। हो सकता है सामग्री वहां पर उपलब्ध ना हो। आप तीनों मिलकर उन सभी सामग्रियों की जल्दी से जल्दी व्यवस्था कर दीजिए।"


 कमल नारायण जी से अनुष्ठान की सारी सामग्रियों के बारे में पूछकर इंस्पेक्टर कदंब,नीरज और शीतल तीनो के तीनो ही निकल गए थे। उनके जाने के बाद चिंकी ने कहा, "आप दोनों अच्छे से समझ रहे हो ना आपको क्या करना है? आपको इसमें कोई तकलीफ तो नहीं होगी??" 


देव और उस नन्हे जीव ने ना में अपना सर हिला दिया। तभी चिंकी ने कहा, "इसके अलावा मुझे आप लोगों की एक और हेल्प चाहिए!!"


 देव ने कहा, "बताओ क्या हेल्प चाहिए? तुम हमारे लिए इतना कुछ कर रही हो.. हम भी तुम्हारी मदद करने की जरूर कोशिश करेंगे।" 


चिंकी ने कहा, "आप दोनों को ट्रेन के ड्राइवर अंकल को समझाने में मेरी मदद करनी होगी कि वह बहुत सालों पहले ही मर चुके है। उन्हें ट्रेन चलाना बंद करना होगा और उन्हें हमारी मदद करने के लिए मनाना होगा ताकि हम उन सभी को मुक्ति दिला सके।"


 देव और उस नन्हे जीव ने चिंकी की मदद करने का आश्वासन दे दिया था। थोड़ी ही देर बाद इंस्पेक्टर कदंब, नीरज और डॉ शीतल.. कमल नारायण जी का बताया सारा सामान लेकर आ गए थे। कमल नारायण जी ने सारा सामान अच्छे से देख लिया था जिससे ऐन टाइम पर कोई भी गड़बड़ ना हो। ट्रेन के आने का भी समय हो चला था। सामान को देव और छोटे जीव के साथ भेजने के लिए अलग अलग कर लिया था।



 कमल नारायण जी ट्रेन को रोके रखने के लिए पूजा करने बैठ गए थे। कमल नारायण जी की पूजा पूरी होने वाली थी.. तभी ट्रेन आ गई थी।  प्रिया ने जैसे ही चिंकी को देखा वह तुरंत ही स्टेशन पर उतर गई थी। चिंकी ने ट्रेन की सारी आत्माओं को बुलाकर अनुष्ठान का सारा सामान ट्रेन में दो अलग-अलग जगह रखवा दिया था और खुद प्रिया, देव और नन्हे जीव के साथ ट्रेन के इंजन की तरफ चल दी थी।


 अगले 5 मिनट के बाद ही ट्रेन स्टेशन से चलने वाली थी। चिंकी ने इंजन में चढ़कर ड्राइवर से कहा, "ड्राइवर अंकल आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? आपकी और ट्रेन में जाने वाले सारे लोगों की मौत बहुत पहले हो चुकी है। फिर भी आप इस ट्रेन को चलाना बंद नहीं कर रहे??"


 चिंकी की बात सुनते ही ड्राइवर ने घूरकर चिंकी को देखा और कहा, "चुप करो बेवकूफ लड़की... तुम्हें खुद नहीं पता है कि क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं?? मुझे अपना काम करना अच्छे से आता है। और मैं अपने काम में किसी की भी दखल बर्दाश्त नहीं कर सकता।"


 तभी प्रिया ने आगे बढ़ते हुए कहा, "चिंकी बिल्कुल ठीक कह रही है.. अंकल। हम सभी लोग बहुत साल पहले ही मर चुके हैं। फिर भी हम सभी इस ट्रेन में ही घूम रहे हैं। ऐसे चलता रहा तो हमें कभी भी मुक्ति नहीं मिलेगी।"


 प्रिया की बात सुनकर ड्राइवर गुस्से में बौखला गया और ट्रेन को चलाने की कोशिश करने लगा। ट्रेन थी कि चलने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी चिंकी ने कहा, "अब यह तो नहीं चलेगी.. जब तक आप नहीं मानते कि आप मर चुके हैं यह ट्रेन यहां से नहीं सरकेगी।"


 "ट्रेन में कोई तकनीकी खराबी आ गई होगी इसीलिए नहीं चल रही है। मैं अभी खराबी देख कर इसे ठीक कर दूंगा। फिर देखता हूं ट्रेन कैसे नहीं चलती है।" ड्राइवर ने गुस्से से चिंकी को घूरते हुए कहा।


 चिंकी ने आगे बढ़कर ड्राइवर का हाथ अपने हाथों में पकड़कर समझाते हुए कहा, "आपको पता है अंकल..! इस ट्रेन से कितने अजीब अजीब जीव धरती पर आते हैं और धरती पर कितने उत्पात मचाते हैं। अगर आप इस ट्रेन को चलाना बंद कर दोगे तो ऐसा कुछ नहीं होगा।"



 चिंकी के स्पर्श से ड्राइवर थोड़ा नरम पड़ने लगा था। तभी चिंकी ने उस नन्हें जीव और देव को बुलाया और बोली, "देखिए अंकल..! इस तरह के विचित्र जीव ट्रेन के जरिए यहां आ रहे हैं। अब आप ही बताइए कि यह अगर ऐसे ही यहां पर रहते है तो क्या कुछ दिनों बाद इंसान जिंदा बचेंगे??"


 ट्रेन ड्राइवर की आंखों में आंसू आ गए थे। वह अपनी ही जगह धम्म से बैठकर रोने लगा। चिंकी ने प्यार से उस का सर सहलाते हुए कहा, "इन सब का आना जाना रोकने में आप ही हमारी मदद कर सकते हैं।"


 ड्राइवर ने चिंकी की तरफ देखते हुए कहा, "कैसे बिटिया?? हम कैसे रोक सकते हैं?? हम तो कब का मर ही चुके हैं।"


"आपको बस आज इस ट्रेन को यहां से लेकर जाना है। कल शाम से पहले ही हम सारे दरवाजे बंद करने का अनुष्ठान पूरा कर लेंगे। उसके बाद हम आप सभी ट्रेन वाली आत्माओं की शांति के लिए पूजा करवा देंगे.. जिससे आप सभी को मुक्ति मिल जाएगी।" चिंकी ने कहा। ड्राइवर ने भी मुस्कुराते हुए हां कहा।


 बाहर सभी लोग बहुत ज्यादा परेशान थे। चिंकी को ट्रेन में गए 13 मिनट हो चुके थे। अगले 2 मिनट बाद ही ट्रेन वापस से यहां से जाने के लिए तैयार हो जाती। सभी की साँसे ऊपर नीचे हो रही थी। सभी को बहुत ज्यादा  घबराहट होने लगी थी। अगर चिंकी ड्राइवर को ना समझा पाई तो??  ऐसे ही चिंता में 1 मिनट और बीत गया था। अब लगभग 40 सेकंड बाकी थे ट्रेन चलने में। सभी लोगों का चिंता के मारे बुरा हाल हो रहा था।



 तभी सामने से चिंकी, प्रिया, देव और वह नन्हा जीव सामने से आते दिखाई दिए। उन्हें देखकर सभी की सांस में सांस आई थी लेकिन अभी भी ट्रेन में क्या हुआ था वह जानना बाकी था। चिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हमारा काम हो गया। अब बस जल्दी से जो कुछ बाकी है आप इन्हें समझा दीजिए।"


 चिंकी बात सुनकर सभी की जान में जान आई। तभी उस छोटे जीव के चेहरे पर टेंशन दिखाई दी और वो अजीब आवाज में चिल्लाने लगा। चिंकी ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा, "क्या हो गया?? अबकी बार तुम्हारी बात मुझे समझ में नहीं आई है।"


वह जीव एक बार फिर चिल्लाया। सभी की नजरें चिंकी की तरफ उठ गई थी। चिंकी भी बहुत ज्यादा टेंशन में दिखाई दे रही थी  सभी ने चिंकी से पूछा, "क्या हुआ?? तुम इतना टेंशन में क्यों हो??"


 "इस नन्हे जीव के पापा यही आस पास है!!" चिंकी ने घबराकर कहा।


 "क्याऽऽऽ..!!" सभी एक साथ जोर से चीख पड़े।


 तभी वह छोटा जीव एक दिशा में भागने लगा और भागते हुए एक जगह जाकर रुक गया और वहां पर रूककर एक अलग स्वर में चिल्लाने लगा।


 "अब क्या कह रहा है यह??" सभी ने पूछा।


 "कुछ नहीं.. टेंशन वाली बात नहीं है। यह अपने पापा को अपने साथ ले जाने के लिए समझाने की कोशिश कर रहा है।"  चिंकी ने कहा।


 "क्या यह कर पाएगा??" सभी की आवाज में अविश्वास साफ सुनाई दे रहा था।


 चिंकी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां..! इसने अपने पापा को मना लिया है।  बस यह ट्रेन चलने से पहले यह ट्रेन में सवार हो जाए। क्योंकि इसके पापा भले ही प्रकाश की गति से कहीं भी आ जा सकते हैं। लेकिन एक आयाम से दूसरे आयाम में जाना इनके लिए भी पॉसिबल नहीं है। इन्हें वापस भेजने के लिए ट्रेन में चढ़ाना ही होगा।"


 तभी वह नन्हा जीव ट्रेन की तरफ चला गया। उसके जाते ही कमल नारायण जी ने चिंकी से कहा, "चिंकी बाकी सभी को भी ट्रेन की तरफ भेज दो। अब और ज्यादा देर ट्रेन नहीं रुक पाएगी।"


चिंकी ने प्रिया को गले लगा कर विदा किया और देव से भी विदा मांगी।  देव जैसे ही जाने लगा चिंकी ने देव की दी हुई अंगूठी उसे वापस करते हुए कहा, "इसे भी वापस ले जाओ। अब इसकी कोई जरूरत नहीं होगी।"


 देव नहीं चाहता था कि चिंकी अंगूठी वापस दे। देव ने जैसे ही कुछ कहने के लिए मुंह खोला चिंकी ने कहा, "तुम अपने आयाम में बिना किसी टेंशन के रहो। अगर यह अंगूठी मेरे पास रही तो दोनों जगह आने जाने के लिए रास्ता खुला रहेगा। हो सकता है उसकी वजह से भविष्य में कोई प्रॉब्लम आ जाए। इसीलिए इसे भी वापस लेकर जाओ।"


 देव ने भी चिंकी से अंगूठी ली और थके कदमों से वापस चला गया। सभी के ट्रेन में वापस चढ़ते ही ट्रेन चल पड़ी। ट्रेन के जाते ही चिंकी की आंखों में आंसू आ गए थे।


इंस्पेक्टर कदंब ने आगे बढ़कर चिंकी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "सभी को जाना ही होगा। चिंकी तुम ऐसे दुखी मत हो।"


 चिंकी ने तुरंत अपने आंसू पोंछ लिये और कहा, "सही कह रहे है आप। सब को वापस अपने घर जाना ही होता है।"


 ट्रेन के जाते ही कमल नारायण जी ने अपना अनुष्ठान शुरू कर दिया। कल जब तक आयाम द्वार बंद होने का मुहूर्त नहीं होता तब तक कमल नारायण जी बिना रुके अपना अनुष्ठान करने वाले थे।



 वहां पहुंचते ही अंदर से देव और उस नन्हे जीव ने भी अनुष्ठान करना शुरू कर दिया था। बुधवार को शाम को लगभग 5:00 बजे कमल नारायण जी का अनुष्ठान संपूर्ण हुआ। अनुष्ठान के पूरा होते ही गौतम की आत्मा वहां पर प्रकट हो गई। गौतम की आत्मा को देखते ही सभी के चेहरे पर फिर से टेंशन दिखाई देने लगी थी।


 तभी गौतम ने मुस्कुराते हुए कहा, "इस बार चिंता की कोई बात नहीं है। मैं यहां केवल इसलिए आया हूं ताकि सभी को यह बता सकूं कि आपका किया गया अनुष्ठान सफल हो गया है। सभी लोगों ने मिलकर इस आयाम द्वार को सदा के लिए बंद करवा दिया है। मुझे भी अब अपने दायित्वों से छुट्टी मिल गई है। मेरा भी वापस जाने का समय आ गया है।"


 गौतम की बात सुनते ही कमल नारायण की आंखों में आंसू आ गए थे। कमल नारायण जी ने अपने आंसू पौंछते हुए कहा, "यह तो बहुत ही खुशी की बात है। अब हमारे लिए आगे क्या आज्ञा है।"


गौतम ने मुस्कुराते हुए कहा, "आज्ञा नहीं केवल एक विनती है और वह भी यह कि आप सभी जल्द से जल्द उस ट्रेन की आत्माओं और मेरी आत्मा की शांति के लिए एक शांति पाठ करें। जिससे सभी को मुक्ति मिल जाएगी।"


 कमल नारायण जी के शांति पाठ करने का संकल्प लेते ही गौतम की आत्मा वहां से गायब हो गई। अब  सभी को शांति थी कि ट्रेन का आतंक अब हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो गया था।



 अगले ही दिन सभी ने मिलकर ट्रेन की सारी आत्माओं की शांति के लिए शांति पाठ रखा था। सभी बहुत ज्यादा खुश थे। तभी चिंकी ने एक अनाउंसमेंट की, "आप सभी लोग सुनिए..!! कल मेरा बर्थडे है। और मैं आप सभी को मेरी बर्थडे पार्टी के लिए इनवाइट करना चाहती हूं। पार्टी आज रात 12:00 बजे होगी। आप सभी का आना कंपलसरी है।"


 चिंकी की बात सुनते ही सभी खुशी से चिल्लाने लगे थे। तभी चिंकी ने आगे कहा, "लेकिन आप सबने पूछा ही नहीं कि पार्टी होगी कहां??"


इंस्पेक्टर कदंब, नीरज, कमल नारायण जी, उनके बेटे बहू और डॉक्टर शीतल सभी कंफ्यूज थे कि पार्टी कहां होने वाली थी? 


 तभी चिंकी ने चिल्लाते हुए कहा, "उसी रेलवे स्टेशन पर जहां से यह सब कुछ शुरू हुआ था!!"


इतना कहकर चिंकी जोर जोर से हंसने लगी। सभी लोग भी चिंकी के साथ हंसने लगे थे।








  समाप्त!!! 

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15 Comments

Barsha🖤👑

11-Oct-2022 09:13 PM

Beautiful

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Chetna swrnkar

11-Oct-2022 06:40 AM

Very nice 👍

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Ajay Tiwari

26-Aug-2022 09:10 PM

Very nice

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